About Rains & Writing

It rained yesterday. The lightning had made its presence felt while we were digesting that Germany was out of FIFA World Cup, and Brazil put on a good show. And then sometime later it rained while I was in deep slumber. I am not a sports fanatic, though I do enjoy watching a game or... Continue Reading →

घर में बसते थे शिव, आज मन शिवालय हो गया

आँखें मूँद औंकार गूंजा अंतर्मन में, हे शिव तुमने लिया मुझे, आज अपने आलिंगन में। जूंझ रहा था जीवन जिससे, वह प्रलय अंत हो गया, घर में बसते थे शिव, आज मन शिवालय हो गया। साधू भी तुम, साधक भी तुम, हे भोलेनाथ, अठखेलियां करते बालक भी तुम, तुमको क्या मनाऊँ मैं, पिता सामान पालक... Continue Reading →

चुप्पी

कभी उनकी आँखों में बसते थे हम, बातों का वो मंज़र रूहानी था। नज़रों में आज भी चमक रहती हैं उनकी बस मेरे अल्फाज़ कमबख्त फ़ोन चुरा ले गया। यूँ तो दिलबर की चुप्पी से शायर डरा नहीं करते, आँखों की जुबां भी समझना आता हैं हमको। आँखें पढ़ने की गुस्ताखी कमबख्त दिल करे कैसे... Continue Reading →

लेखक हूँ, पर क्या लिखूँ ?

यूँ ही कुछ लिख लेता हूँ, लोग कहते हैं की कहानी अच्छी कह देता हूँ । मंज़र अलग से नज़र आते है मुझे , शब्दों का रुख मोड़ स्याह कलम से खेलता हूँ। पर डर लगता हैं आजकल कलम को मेरी, शब्दों के मेरे खेल से कहीं अनवर बुरा ना मान जाये? अभी कुछ दिन... Continue Reading →

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