शोर गूँज रहा,
मृत्यु के मौन सा
आँख अब नम नहीं
बुझ गया आँसू का जो दौर था
चमक नगरी की चौंध में
हाथ तुमने सेक लिए
उस ठंडी चिता की आग देख
नैन क्यों फ़ेर दिए
राम का सा राज्य था
रावण भी मर्यादा में रहता
ये कौन राम राज्य है
जहाँ आदमी राक्षस बन जाता
चार जून, चौदह सितम्बर
सताईस नवंबर या सोलह दिसंबर
ये सिर्फ तारीख़ नहीं रही
लाल होगया इनसे कैलेंडर
मृत्यु का सा मौन है
शोर हर तरफ हुआ
वो खबर ढूँढ़ते रह गए
अँधेरे में जल गयी उसकी चिता
– Vibha Lohani
बहुत सुन्दर👏
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Thank you
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Beautiful.
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Thank you. Sad situation, so much darkness around
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Yes…so it is.
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